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राष्ट्र ने डॉ. बी. आर. अंबेडकर को उनके 67वें महापरिनिर्वाण दिवस पर याद किया

 


 राष्ट्र ने डॉ. बी. आर. अंबेडकर को उनके 67वें महापरिनिर्वाण दिवस पर याद किया


राष्‍ट्र भारत रत्‍न डॉक्‍टर भीमराव आम्‍बेडकर को उनके 67वें महापरिनिर्वाण दिवस पर श्रद्धांजलि दे रहा है। राष्‍ट्रपति द्रौपदी मुर्मु, उपराष्‍ट्रपति जगदीप धनखड और प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने नई दिल्‍ली में संसद भवन परिसर में बाबा साहे‍ब आम्‍बेडकर को उनके महापरिनिर्वाण दिवस के अवसर पर श्रद्धांजलि अर्पित की। लोकसभा अध्‍यक्ष ओम बिरला, संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी, कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे ने भी संसद भवन में डॉक्‍टर आम्‍बेडकर को श्रद्धांजलि दी।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस पर उन्‍हें श्रद्धांजलि अर्पित की है। उन्‍होंने राष्‍ट्र की अनुकरणीय सेवा के लिए डॉ. आंबेडकर को याद किया है। श्री मोदी ने कहा कि बाबा साहेब के संघर्ष ने लाखों लोगों में आशा का संचार किया और उनके प्रयासों ने भारत को ऐसा व्‍यापक संविधान प्रदान किया जिसे कभी नहीं भुलाया जा सकता।


देशभर में डॉक्‍टर आम्‍बेडकर के लाखों अनुयायी उन्‍हें श्रद्धांजलि देने के लिए मुंबई के दादर में चैत्‍य भूमि पर एकत्रित हुए। वैश्विक महामारी के कारण पिछले दो वर्षों से लोग चैत्‍य भूमि और डॉक्‍टर आम्‍बेडकर से जुडे अन्‍य स्‍थानों पर नही जा सके थे, इसलिए इस वर्ष इन स्‍थानों पर बडी संख्‍या में लोगों के पहुंचने की उम्‍मीद है।


डॉ. बी. आर. अंबेडकर का जीवन:


भारतीय संविधान के जनक बीआर अम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को हुआ था। बाबासाहेब के नाम से जाने जाने वाले, उन्होंने देश में दलितों के आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण के लिए लड़ाई लड़ी, अस्पृश्यता के सामाजिक संकट को खत्म किया और लैंगिक समानता को बढ़ावा दिया। वह प्रारूपण समिति के उन सात सदस्यों में भी थे जिन्होंने स्वतंत्र भारत के संविधान का प्रारूप तैयार किया था।


6 दिसंबर 1956 को बाबासाहेब अम्बेडकर का देहावसान हुआ था। संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर बड़े समाज सुधारक और विद्वान थे। उन्होंने अपना पूरा जीवन जातिवाद को खत्म करने और गरीब, दलितों, पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए अर्पित किया।


बालक भीमराव का प्राथमिक शिक्षण दापोली और सतारा में हुआ। बंबई के एलफिन्स्टोन स्कूल से वह 1907 में मैट्रिक की परीक्षा पास की। बड़ौदा नरेश सयाजी राव गायकवाड की फेलोशिप पाकर भीमराव ने 1912 में मुबई विश्वविद्यालय से स्नातक परीक्षा पास की। संस्कृत पढने पर मनाही होने से वह फारसी लेकर उत्तीर्ण हुये।


सन 1915 में उन्होंने स्नातकोत्तर उपाधि की परीक्षा पास की। इस हेतु उन्होंने अपना शोध ‘प्राचीन भारत का वाणिज्य’ लिखा था। उसके बाद 1916 में कोलंबिया विश्वविद्यालय अमेरिका से ही उन्होंने पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की, उनके पीएच.डी. शोध का विषय था ‘ब्रिटिश भारत में प्रातीय वित्त का विकेन्द्रीकरण’।


बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर को कोलंबिया विश्वविद्यालय ने एल.एलडी और उस्मानिया विश्वविद्यालय ने डी. लिट्. की मानद उपाधियों से सम्मानित किया था। इस प्रकार डॉ. अम्बेडकर वैश्विक युवाओं के लिये प्रेरणा बन गये क्योंकि उनके नाम के साथ बीए, एमए, एमएससी, पीएचडी, बैरिस्टर, डीएससी, डी.लिट्. आदि कुल 26 उपाधियां जुडी है।


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