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बृहस्पति ग्रह कि जानकारी/brhaspati grah ki jaanakaaree/brhaspati grah,

            

बृहस्पति ग्रह 

  • सूर्य से बृहस्पति पांचवाँ और हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है। यह मुख्य रूप से एक गैस पिंड है जिसका द्रव्यमान सूर्य के हजारवें भाग के बराबर तथा सौरमंडल में मौजूद अन्य सात ग्रहों के कुल द्रव्यमान का ढाई गुना है। बृहस्पति को शनि, अरुण और  वरुण  के साथ एक गैसीय ग्रह के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इसे रात को नंगी आंखों से देखा जा सकता है।


  • यह ग्रह प्राचीन काल से ही खगोलविदों द्वारा जाना जाता रहा है और यह अनेकों संस्कृतियों की पौराणिक कथाओं तथा धार्मिक विश्वासों के साथ जुड़ा हुआ था। [ रोमन सभ्यता ने अपने देवता जुपिटर के नाम पर इसका नाम रखा था ]। इसे जब पृथ्वी से देखा गया, बृहस्पति  2.94 के सापेक्ष कांतिमान तक पहुँच सकता है। छाया डालने लायक पर्याप्त उज्जवल जो इसे चन्द्रमा और शुक्र के बाद आसमान की औसत तृतीय सर्वाधिक चमकीली वस्तु बनाता है। [मंगल ग्रह अपनी कक्षा के कुछ बिंदुओं पर बृहस्पति की चमक से मेल खाता है]


  • बृहस्पति  पर एक चौथाई हीलियम द्रव्यमान के साथ मुख्य रूप से हाइड्रोजन से बना हुआ है और इसका भारी तत्वों से युक्त एक चट्टानी कोर हो सकता है।अपने तेज घूर्णन के कारण बृहस्पति का आकार एक चपटा उपगोल [ भूमध्य रेखा के पास चारों ओर एक मामूली लेकिन ध्यान देने योग्य उभार लिए हुए ] है। इसके बाहरी वातावरण में विभिन्न अक्षांशों पर कई पृथक दृश्य पट्टियाँ नजर आती है जो अपनी सीमाओं के साथ भिन्न-भिन्न वातावरण के परिणाम स्वरूप बनती है। बृहस्पति के विश्मयकारी 'महान लाल धब्बा' जो कि एक विशाल तूफ़ान है। के अस्तित्व को 17वीं सदी के बाद तब से ही जान लिया गया था जब इसे पहली बार दूरबीन से देखा गया था। यह ग्रह  एकशक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र और एक धुंधले ग्रहीय वलय प्रणाली से घिरा हुआ है। बृहस्पति के कम से कम ७९(२०१८ तक) चन्द्रमा है । इनमें वो चार सबसे बड़े चन्द्रमा भी शामिल है जिसे गेलीलियन चन्द्रमा कहा जाता है जिसे सन् १६१० में पहली बार गैलीलियो गैलिली द्वारा खोजा गया था। गैनिमीड सबसे बड़ा चन्द्रमा है जिसका व्यास बुध ग्रह से भी ज्यादा है। यहां चन्द्रमा का तात्पर्य (उपग्रह) से है।


  • बृहस्पति का अनेक अवसरों पर रोबोटिक अंतरिक्ष यान द्वारा विशेष रूप से पहले पायोनियर  और वॉयजर मिशन के दौरान और बाद में गैलिलियो यान के द्वारा अन्वेषण किया जाता रहा है। फरवरी (2007 में न्यू होराएज़न्ज़ प्लूटो सहित बृहस्पति की यात्रा करने वाला अंतिम अंतरिक्ष यान था)। इस यान की गति बृहस्पति के गुरुत्वाकर्षण का इस्तेमाल कर बढाई गई थी। इस बाहरी ग्रहीय प्रणाली के भविष्य के अन्वेषण के लिए संभवतः अगला लक्ष्य यूरोपा चंद्रमा पर बर्फ से ढके हुए तरल सागर शामिल हैं। इसके उपग्रहों की 79 संख्या है।



  • बृहस्पति एकमात्र ग्रह है जिसका सूर्य के साथ साझा द्रव्यमान केंद्र सूर्य के आयतन से बाहर स्थित है। बृहस्पति की सूर्य से औसत दूरी ७७ करोड़ ८० लाख किमी (५.२ खगोलीय  इकाई ) है तथा सूर्य का एक पूर्ण चक्कर  ११.८६ साल में लगाता है। शनि की तुलना में दो-तिहाई कक्षीय अवधि सौरमंडल के इन दो बड़े ग्रहों के मध्य ५:२ का परिक्रमण तालमेल [orbital resonance] बनाता है। अर्थात् बृहस्पति सूर्य के पाँच चक्कर और शनि सूर्य के दो चक्कर समान समय में लगाते है। इसकी अंडाकार कक्षा पृथ्वी की तुलना में १.३१° झुकी हुई है। ०.०४८  विकेन्द्रता  [eccentricity] के कारण बृहस्पति की सूर्य से दूरी विविधता पूर्ण है। इसके उपसौर तथा अपसौर के मध्य का फर्क ७.५ करोड़ किमी है।


  • बृहस्पति का अक्षीय झुकाव बहुत कम  केवल ३.१३° होने से, पृथ्वी और मंगल जैसे महत्वपूर्ण मौसमी परिवर्तनों का इस ग्रह को कोई भी अनुभव नही है


  • बृहस्पति का घूर्णन सौरमंडल के सभी ग्रहों में सबसे तेज है।  यह अपने अक्ष पर एक घूर्णन १० घंटे से थोड़े कम समय मे पूरा करता है जिससे भूमध्यरेखीय उभार बनता है जो भू-आधारित दूरदर्शी से आसानी से दिखाई देता है। इस घूर्णन को २४.७९ मीटर/सेकण्ड२ भूमध्यरेखीय सतही गुरुत्वाकर्षण की तुलना में, भूमध्यरेखा पर १.६७  मीटर/सेकण्ड२  केन्द्राभिमुख  त्वरण  [centripetal acceleration] की जरुरत होती है  इस तरह भूमध्यरेखीय सतह पर परिणामी त्वरण केवल २३.१२  मीटर/सेकण्ड२होता है। इस ग्रह का आकार  चपटा उपगोल जैसा है जिसका अर्थ है इसके भूमध्यरेखा के आरपार का व्यास  इनके ध्रुवों के बीच के व्यास से ९२७५ कि॰मी॰ अधिक लंबा है 


  • बृहस्पति एक ठोस ग्रह नहीं है इसके ऊपरी वायुमंडल में अनेक घूर्णन गतियां है। इसके ध्रुवीय वायुमंडल का घूर्णन भूमध्यरेखीय वायुमंडल से ५ मिनट लंबा है। गतियों की तीन प्रणालियों को सापेक्षिक निशानी के रूप में इस्तेमाल किया गया है, विशेषरूप से जब वायुमंडलीय लक्षणों का अभिलेख किया जाता है। प्रणाली I १०° उत्तर से १०° दक्षिण अक्षांशों पर लागू, ९ घंटे ५० मिनट ३०.० सेकण्ड पर सबसे कम अवधि। प्रणाली II इसके उत्तर और दक्षिण के सारे अक्षांशों पर लागू, घूर्णन अवधि ९ घंटे ५५ मिनट ४०.६ सेकण्ड। प्रणाली III को पहले  रेडियो खगोलविद ने परिभाषित किया था यह ग्रह के मैग्नेटोस्फेयर से मेल खाता है यह अवधि बृहस्पति की आधिकारिक घूर्णन अवधि है।

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