•  इस्लाम का इतिहास

  


  • मुहम्मद साहब का जन्म 570 ईस्वी में मक्का में हुआ था। उस समय के बहुत सारे अरब अल्लाह के साथ-साथ उसकी तीन बेटियों की भी पूजा करते थे। ये देवियां थीं। अल-लात मनात और अल-उज्ज़ा  इन तीनों देवियों का मंदिर मक्का के आस-पास ही स्थित था और तीनों की काबा के भीतर भी पूजा होती थी। सभी अरब के लोग इन तीनों देवियों की पूजा करते थे। लगभग 613 इस्वी के आसपास मुहम्मद साहब ने लोगों को अपने ज्ञान का उपदेशा देना आरंभ किया था। इसी घटना का इस्लाम का आरंभ जाता है। हालांकि इस समय तक इसको एक नये धर्म के रूप में नहीं देखा गया था। परवर्ती  सालों में मुहम्म्द साहब स्० के अनुयायियों को मक्का के लोगों द्वारा विरोध तथा मुहम्म्द साहब के मदीना प्रस्थान जिसे  [हिजरत ]  नाम से जाना जाता है मदीना से ही इस्लाम को एक धार्मिक सम्प्रदाय माना गया। मुहम्मद के जीवन काल में और उसके बाद जिन-जिन प्रमुख लोगों ने अपने आपको पैगंबर घोषित कर रखा था वो थे। मुसलमा,  तुलैहा,  अल-अस्वद, साफ़ इब्न  सज़ाह, और सैय्यद 

       

अरब की तीन देवियां 

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  •  कुछ सालों में कई प्रबुद्ध लोग मुहम्मद स्० (पैगम्बर नाम से भी ज्ञात) के अनुयायी बने। उनके अनुयायियों  के प्रभाव  में आकर  भी कई  लोग (मुसलमान)  बने। इसके बाद मुहम्मद साहब ने मक्का वापसी की और बिना युद्ध किए मक्काह फ़तह किया और मक्का के सभी विरोधियों को माफ़ कर दिया गया। इस माफ़ी की घटना के बाद मक्का के सभी लोग इस्लाम में परिवर्तित हुए। पर पयम्बर (या पैगम्बर मुहम्मद) को कई विरोधों और नकारात्मक परिस्थितियों का सामना करना पड़ा पर उन्होंने हर नकारात्मकता से सकारात्मकता को निचोड़ लिया जिसके कारण उन्होंने जीवन के हर क्षेत्र में  विजय हासिल की।


  • उनकी वफात के बाद अरबों का साम्राज्य और जज़्बा बढ़ता ही गया। अरबों ने  प्रथम मिस्र तथा उत्तरी अफ्रीका पर विजय हासिल की और फिर बैजेन्टाइन और फारसी साम्राज्यों को हराया। यूरोप में तो उन्हें विशेष सफलता नहीं मिली पर फारस में कुछ संघर्ष करने के बाद उन्हें जीत मिलने लगी। इसके बाद पूरब की दिशा में उनका साम्राज्य फैलता गया। सन 1200 तक वे भारत तक पहुँच गए 

  • अफ्रीका और यूरोप 


  • मिस्र में इस्लाम का प्रचार तो उम्मयदों के समय ही हो गया था। अरबों ने स्पेन में सन 710 में पहली बार साम्राज्य विस्तार की योजना बनायी। धीरे-धीरे उनके साम्राज्य में स्पेन के उत्तरी भाग भी आ गए। 10वीं सदी के अन्त तक यह अब्बासी खिलाफत का अंग बन गया था। इसी समय तक सिन्ध भी अरबों के नियंत्रण में आ गया था। सन 1095 में पोप अर्बान द्वितीय ने धर्मयुद्दों की पृष्टभूमि तैयार की। ईसाइयों ने स्पेन और पूर्वी क्षेत्रों में मुस्लिमों का मुकाबला किया येरूसेलम सहित कई धर्मस्थलों को मुस्लिमों के प्रभुत्व से छुड़ा लिया गया। पर कुछ ही दिनों के अंदर ही उन्हें प्रभुसत्ता से बाहर निकाल दिया गया।